फोटो साभारः जनता का रिपोर्टर |
केंद्र में भाजपा की
अगुआई वाली राजग सरकार बनने के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर वर्ग में अनुसूचित जाति
वर्ग की 43, अनुसूचित जनजाति वर्ग की 22 और अन्य पिछड़ा वर्ग की 76 सीटें हुईं
खत्म।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुआई वाली केंद्र सरकार ब्राह्मणवादी मीडिया
के सहारे पिछड़े वर्गों (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग) के
कल्याण का ढींढोरा भले ही पीट रही हो लेकिन हकीकत में वह उनके अधिकारों पर कैंची
चला रही है। पूर्वांचल में भाजपा के मातृत्व संगठन आरएसएस (राष्ट्रीय सेवक संघ) का
गढ़ कहे जाने वाले काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में सवर्ण प्रशासकों ने पिछले
तीन सालों में आरक्षित वर्ग में असिस्टेंट प्रोफेसर के 141 पदों को खत्म कर दिया
लेकिन किसी ने उफ तक नहीं की। इन सीटों में अनुसूचित जाति वर्ग की 43, अनुसूचित
जनजाति वर्ग की 22 और अन्य पिछड़ा वर्ग की 76 सीटें शामिल हैं। हालांकि गड़बड़झाले
के बीच विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अधिकारिक वेबसाइट पर जारी होने वाले
विभिन्न रोस्टरों में ये आंकड़े दो-चार की संख्या में घटते-बढ़ते रहते हैं।
“वनांचल एक्सप्रेस” ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की अधिकारिक वेबसाइट पर
पूर्व में प्रकाशित रोस्टरों और उसके द्वारा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को
उपलब्ध कराये गये आंकड़ों की छानबीन की तो पाया कि विश्वविद्यालय के प्रशासकों ने असिस्टेंट
प्रोफेसर के कुल 281 पदों को खत्म कर दिया है। इनमें अनुसूचित जाति के 43,
अनुसूचित जनजाति के 22 और अन्य पिछड़ा वर्ग के 76 पद शामिल हैं। काशी हिन्दू
विश्वविद्यालय के कुल सचिव ने वर्ष 2013 में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में रिपोर्ट
दी थी कि विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के 1386 पद स्वीकृत हैं जिनमें
अनुसूचित जाति वर्ग के 208, अनुसूचित जनजाति वर्ग के 104 और अन्य पिछड़ा वर्ग के 374
पद हैं। विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक असिस्टेंट प्रोफेसर वर्ग में
अनुसूचित जाति वर्ग के 112, अनुसूचित जनजाति वर्ग के 30 और अन्य पिछड़ा वर्ग के 17
पदों पर उन वर्गों के लोग कार्यरत हैं। उस समय विश्वविद्यालय प्रशासन ने असिस्टेंट
प्रोफेसर वर्ग में अनुसूचित जाति वर्ग के 96, अनुसूचित जनजाति वर्ग के 74 और अन्य
पिछड़ा वर्ग के 123 पदों को रिक्त दिखाया गया था। अन्य पिछड़ा वर्ग के शेष 234
पदों पर अनारक्षित वर्ग के लोगों को तैनात कर पिछड़ों को उनके अधिकारों से वंचित
कर दिया गया था। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सवर्ण प्रशासकों ने असिस्टेंट
प्रोफेसर वर्ग में एससी, एसटी और ओबीसी के इतर शेष 700 पदों का ब्योरा राष्ट्रीय
अनुसूचित जाति आयोग को मुहैया नहीं कराया। बता दें कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने
आयोग के समक्ष 31 दिसम्बर 2011 तक के आंकड़ों को ही पेश कर अपना पक्ष रखा था।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को उपलब्ध कराये गये आंकड़े। |
केंद्र की सत्ता में भाजपा की अगुआई वाली राजग
सरकार बनने के बाद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की अधिकारिक वेबसाइट पर असिस्टेंट
प्रोफेसर पदों पर तैनात शिक्षकों के रोस्टर में विश्वविद्यालय के सवर्ण प्रशासकों
ने एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग की रिक्तियों पर कैंची चला दी। वर्ष 2015 में विश्वविद्यालय
की वेबसाइट पर उपलब्ध रोस्टर में असिस्टेंट प्रोफेसर के 1386 पदों को घटाकर 1105
कर दिया गया। इस तरह विश्वविद्यालय प्रशासन ने असिस्टेंट प्रोफेसर के 281 पदों को
अचानक खत्म कर दिया जिसमें अनुसूचित जाति वर्ग के 43, अनुसूचित जनजाति वर्ग के 22
और अन्य पिछड़ा वर्ग के 76 पद शामिल थे। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन का यह
रोस्टर अपने आप में खुद ही एक पहेली है।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की अधिकारिक वेबसाइट पर वर्ष 2015 में प्रकाशित रोस्टर में असिस्टेंट प्रोफेसर पदों का विवरण। |
अगर इस रोस्टर की बात करें तो विश्वविद्यालय में
असिस्टेंट प्रोफेसर वर्ग में अनुसूचित जाति वर्ग के 165 पदों में से 92 पद पर इस
वर्ग के लोग कार्यरत हैं जबकि इस वर्ग के 73 पद रिक्त हैं। वहीं अनुसूचित जनजाति
वर्ग के 82 पदों में से 26 पद भरे हुए हैं लेकिन 56 पदों पर इस वर्ग के लोगों की
नियुक्ति होनी बाकी है। अन्य पिछड़ा वर्ग के 298 पदों में से सिर्फ 17 पद पर इस
वर्ग के लोगों की नियुक्ति है लेकिन रिक्तियों की संख्या महज 120 है। इस रोस्टर
में अन्य पिछड़ा वर्ग के 161 पदों पर अनारक्षित वर्ग के लोगों को काबिज दिखाया गया
है। इसमें दिखाया गया कि विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर वर्ग में अनारक्षित
वर्ग के कुल 560 पद स्वीकृत हैं लेकिन इस वर्ग में 615 लोगों की नियुक्ति है यानी
स्वीकृत पद से 56 ज्यादा। इसके बावजूद विश्वविद्यालय के सवर्ण प्रशासकों ने रोस्टर
में अनारक्षित वर्ग में असिस्टेंट प्रोफेसर के 106 पदों को रिक्त दिखाया है। इस
रोस्टर की विश्लेषण करने पर मालूम होता है कि अनारक्षित वर्ग में स्वीकृत पद से 217
अतिरिक्त नियुक्तियां हैं और विश्वविद्यालय के सवर्ण प्रशासक 106 पदों पर अनारक्षित
वर्ग के अन्य लोगों की नियुक्तियां करने की फिराक में हैं। इस तरह सवर्ण प्रशासकों
ने विश्वविद्यालय के 1105 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों में से 883 पदों को अनारक्षित
वर्ग के लिए सुरक्षित कर लिया है। बता दें कि जनता के कर से संचालित होने वाले
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की ‘एक्जेक्यूटिव काउंसिल’ में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग का एक भी प्रतिनिधि नहीं है।
जनवरी 2017 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की अधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध रोस्टर में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों का विवरण। |
(BHU EXCLUSIVE की अगली कड़ी में पढ़िये पिछड़ों के खिलाफ सवर्णों की एक और साज़िश)
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