ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ अदर बैकवर्ड क्लासेस इंप्लाइज वेलफेयर एसोशिएशन्स (एआईओबीसी) के महासचिव जी. करुणानिधि ने ओबीसी छात्रों से नवीनतम आय और जाति प्रमाण-पत्र जमा कराने की बाध्यता का भी किया विरोध।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
दिल्ली विश्वविद्यालय में ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से वंचित वर्ग) कोटे के सवर्णों को आवेदन शुल्क में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) एवं दिव्यांग (पीडब्ल्यूबीडी) वर्गों की तरह मिली छूट का मामला गरमा गया है। वनांचल एक्सप्रेस पर छपी खबर के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आवेदन शुल्क का मामला अब राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग पहुंच गया है। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ अदर बैकवर्ड क्लासेस इंप्लाइज वेलफेयर एसोशिएशन्स (एआईओबीसी) ने आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को पत्र लिखकर दिल्ली विश्वविद्यालय पर ओबीसी के छात्रों के साथ भेद-भाव का आरोप लगाया है। वही, बिरसा-अंबेडकर-फुले स्टूडेंट एसोसिएशन (BAPSA) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखकर ओबीसी के आवेदन शुल्क में ईडब्ल्यूएस के बराबर छूट की मांग की है।
बता दें कि वनांचल एक्सप्रेस ने गत 21 जून को दिल्ली विश्वविद्यालय के आवेदन शुल्क में ओबीसी को छूट नहीं मिलने की खबर "DU ने EWS कोटे के सवर्णों को दिया SC-ST की छूट, OBC भरेगा पूरा शुल्क" शीर्षक से सबसे पहले प्रकाशित की थी। इसके बाद से ही यह मामला गरमाने लगा था। दिल्ली विधानसभा के पूर्व विधायक पंकज पुष्कर ने खबर प्रकाशन के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन से मिलकर ओबीसी के आवेदन शुल्क में छूट नहीं मिलने पर आपत्ति दर्ज कराई थी। उन्होंने ईडब्ल्यूएस कोटा के तहत सवर्णों को आवेदन शुल्क में मिलने वाली छूट पर भी हैरानी जताई थी। उन्होंने ओबीसी के लिए ईडब्ल्यूएस कोटा के समान आवेदन शुल्क में ओबीसी को भी छूट देने की मांग की थी।
बिरसा-अंबेडकर-फुले स्टूडेंट एसोसिएशन (BAPSA) ने गत 26 जून को दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय प्रशासन पर ओबीसी के छात्रों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया था। उसने कुलपति से ओबीसी के लिए निर्धारित वर्तमान आवेदन शुल्क को 750 रुपये से घटाकर 300 रुपये करने की मांग की थी।
वहीं, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ अदर बैकवर्ड क्लासेस इंप्लाइज वेलफेयर एसोशिएशन्स (एआईओबीसी) के महासचिव जी. करुणानिधि ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष डॉ. भगवान लाल साहनी को पत्र लिखकर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति पर ओबीसी छात्रों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया है। उन्होंने ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कोटा के छात्रों के लिए निर्धारित आवेदन शुल्क के साथ उनकी आय और जाति प्रमाण-पत्र को मांगे जाने पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने आयोग से इंदिरा साहनी वनाम भारत सरकार मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय में ओबीसी के लिए निर्धारित आवेदन शुल्क में एसी/एसटी/ईडब्ल्यूएस छात्रों की तरह छूट दिलाने के लिए निर्देश जारी करने की गुहार लगाई है। साथ ही उन्होंने लिखा है कि आयोग दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश जारी करे कि वह कोविड-19 महामारी के चलते ओबीसी छात्रों को अस्थाई रूप से उनके पास मौजूद प्रमाण-पत्रों के आधार पर प्रवेश प्रदान करे।
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने शिक्षा सत्र-2020-21 में प्रवेश के लिए इंफॉर्मेशन बुलेटिन जारी की है। इसमें उल्लिखित आवेदन शुल्कों की बात करें तो विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर पर संचालित पाठ्यक्रमों में अनारक्षित और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए 250 रुपये (मेरिट आधारित पाठ्यक्रम) और 750 रुपये (प्रवेश परीक्षा आधारित पाठ्यक्रम) निर्धारित किया गया है। वहीं, एससी, एसटी, दिव्यांग और ईडब्ल्यूएस कोटे के छात्रों के लिए 100 रुपये (मेरिट आधारित पाठ्यक्रम) और 300 रुपये (प्रवेश परीक्षा आधारित पाठ्यक्रम) निर्धारित किया गया है। गौर करने वाली बात है कि सरकार द्वारा गठित विभिन्न आयोगों की रपटों में साफ हो चुका है कि अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आने वाले समूहों की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ापन सामान्य या अनारक्षित वर्गों में शामिल समूहों से बहुत अधिक है। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (नान-क्रिमीलेयर) के लिए जो मानक तैयार किया है, वह ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत आने वाले सवर्णों की आर्थिक आमदनी के समान ही है। इसके बावजूद अन्य पिछड़ा वर्ग को आवेदन शुल्क में कोई छूट नहीं दी गई है। बता दें कि केंद्र सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (नान-क्रिमीलेयर) और ईडब्ल्यूएस कोटे की सलाना आमदनी आठ लाख रुपये से कम निर्धारित किया है।
इसी तरह दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के आवेदन शुल्क को भी निर्धारित किया है। एससी, एसटी, दिव्यांग और ईडब्ल्यूएस कोटे के छात्रों के लिए आवेदन शुल्क प्रति विषय 300 रुपये निर्धारित किया गया है। वहीं अनारक्षित, ओबीसी और अन्य वर्गों के छात्रों को प्रति विषय 750 रुपये चुकाने होंगे। एम.फिल और पीएच.डी पाठ्यक्रमों के आवेदन शुल्क का हाल भी ऐसा ही है। अनारक्षित और ओबीसी को आवेदन शुल्क के रुप में प्रति विषय 750 रुपये भरने होंगे जबकि अन्य आरक्षित वर्ग के आवेदकों को आवेदन शुल्क के रूप में केवल प्रति विषय 300 रुपये चुकाने होंगे।
गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है। यह केंद्र सरकार के अधीन आता है। केंद्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नीत भाजपा की सरकार जब से बनी है, तभी से विभिन्न सरकारी संस्थाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण और इसके तहत मिलनी वाली रियायतों को खत्म करने की कोशिश हो रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय में अन्य पिछड़ा वर्ग को शुल्क में छूट नहीं मिलने और ईडब्ल्यूएस कोटे के सवर्णों को एससी/एसटी/विकलांग की तहत छूट देने को लोग इसी कड़ी की कवायद में देख रहे हैं।
अगर दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया की नीति को निर्धारित करने वाली प्रवेश कमेटी के सदस्यों की बात करें तो इस कमेटी के डीन पद पर क्लस्टर इन्नोवेशन सेंटर की प्रो. शोभा बगई तैनात हैं जो सामान्य वर्ग में आने वाले सिंधी समुदाय से हैं। नवंबर में इस पद पर शिक्षा विभाग के प्रो. पंकज अरोरा की नियुक्ति की गई थी जो सामान्य वर्ग से ही आते हैं। फरवरी के तीसरे सप्ताह में उनकी जगह बगई की तैनाती कर दी गई। कमेटी के दूसरे सदस्य और डिप्टी डीन के रूप में डॉ. हनीत गांधी की नियुक्ति की गई है। यह भी सामान्य वर्ग से आती हैं। सहायक उप-कुलसचिव (प्रवेश) के रूप में डॉ. ओ.पी. शर्मा की नियुक्ति की गई है। यह भी सामान्य वर्ग से हैं।
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