गुरुवार, 20 अगस्त 2020

नहर प्रखंड ने ग्रामीणों का दावा किया खारिज, SDM के आदेश के बाद सोनभद्र में टूटेगी 64 परिवारों की बस्ती!

भाजपा एमएलएसी केदारनाथ सिंह के पत्र पर रॉबर्ट्सगंज विकास खंड के ग्राम पंचायत बहुअरा में नहर प्रखंड की करीब 15 बीघा भूमि पर दशकों से आबाद 64 परिवारों को बेदखली की नोटिस जारी करने का मामला। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज विकास खंड के ग्राम पंचायत बहुअरा में नहर प्रखंड की करीब 15 बीघा भूमि पर दशकों से आबाद 64 परिवारों की बस्ती अब कभी भी उजड़ सकती है। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधीन मिर्जापुर नहर प्रखंड ने उनके दावे को खारिज कर दिया है और उनकी बेदखली का आदेश प्राप्त करने के लिए उप-जिला मजिस्ट्रेट (SDM) के पास जाने की तैयारी कर रहा है।  

मिर्जापुर नहर प्रखण्ड के अधिशासी अभियंता वैभव सिंह ने बृहस्पतिवार को 'वनांचल एक्सप्रेस' से मोबाइल फोन पर हुई बातचीत में बहुअरा गांव में नहर प्रखंड पर काबिज ग्रामीणों का दावा खारिज होने की बात कही। आगे की प्रक्रिया के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अब हम उप-जिला मजिस्ट्रेट (SDM) की कोर्ट में जाएंगे। हम कहेंगे कि हमारी जमीन है, हमें वापस चाहिए। जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि आपकी नोटिस पर ग्रामीणों ने जो जवाब दिया था, क्या वह संतुष्टिजनक नहीं था? इस पर उन्होंने कहा, "यह कह देना कि हम बहुत दिन से रह रहे हैं, बहुत साल से रह रहे हैं, आपका तो नहीं हो जाएगा न। वह यही जवाब दे रहे हैं कि हम कई सालों से रह रहे हैं।" वैभव सिंह ने आगे कहा कि एसडीएम का आदेश मिलने के बाद हम प्रशासन की मदद से नहर प्रखंड की आबादी वाली भूमि को खाली कराएंगे। हमने खाली पड़ी जमीन को कब्जे में लेकर जुताई करा दी है।

बता दें कि ग्राम पंचायत बहुअरा में वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग (एसएच5ए) से सटी उत्तर प्रदेश सरकार (एन.जेड.ए) की करीब 15 बीघा भूमि है। इसके करीब 11 बीघा रकबे में 64 परिवारों की घनी बस्ती बसी शेष है। शेष भूमि परती है। इस 15 बीघा भूमि का प्रबंधन मीरजापुर नहर प्रखंड के पास है। वाराणसी (स्नातक खण्ड) विधान परिषद के सदस्य और भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक केदार नाथ सिंह ने गत 18 फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस 15 बीघा भूमि को खाली कराने का अनुरोध किया था। इसके लिए उन्होंने पत्र में बाहर से आकर मुस्लिम समुदाय द्वारा अतिक्रमण करने की बात का हवाला दिया था। बता दें कि एमएलसी केदार नाथ सिंह का कार्यकाल गत 6 मई को खत्म हो चुका है। 

उनके पत्र पर सोनभद्र प्रशासन ने मामले की जांच कराई जिमसें विवादित भूमि पर 64 परिवारों की घनी बस्ती होने की बात जांच रिपोर्ट में आई। बाद में मीरजापुर नहर प्रखंड के जिलेदार (द्वितीय) ने कोरोना संकट के दौर में गत 19 जून को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के अंदर जवाब मांगा था। ग्रामीणों ने गत 26 जून को अपना जवाब जिलेदार (द्वितीय) को भेज दिया था।  

'वनांचल एक्सप्रेस' ने इस मुद्दे पर पिछले दिनों एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसके बाद वाराणसी (स्नातक खण्ड) विधान परिषद निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी संजीव सिंह ने मीरजापुर नहर प्रखण्ड की ओर से जारी नोटिस को वापस लेने की मांग की थी। साथ ही उन्होंने भाजपा के पूर्व एमएलसी केदार नाथ सिंह के विधायक निधि से बेटे और बहू को लाभ पहुंचाने के आरोप की जांच कराने  की मांग भी की थी। वहीं, वाराणसी स्थित मानवाधिकार जन निगरानी समिति के संयोजक लेनिन रघुवंशी ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को पत्र भेजकर मामले में कार्रवाई करने का अनुरोध किया था। 



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