ग्रामीणों से बात करते हुए सपा जिलाध्यक्ष विजय यादव |
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज विकास खंड के ग्राम पंचायत बहुअरा में उत्तर प्रदेश सरकार की भूमि पर बसे 64 परिवारों की बेदखली के मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अनिल यादव समेत समाजवादी पार्टी के एक प्रतिनिधि मंडल ने आज बहुअरा (बंगला) स्थित विवादित बस्ती का दौरा किया और ग्रामीणों की बेदखली की प्रक्रिया को सत्ता पक्ष के लोगों की साज़िश बताया।
इस दौरान सपा जिलाध्यक्ष विजय यादव ने 'वनांचल एक्सप्रेस' से कहा कि आज वर्तमान भाजपा सरकार ने सत्तापक्ष से जुड़े हुए लोगों की साज़िश के तहत यहां के लोगों को उजाड़ने की साजश की है। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा एमएलसी केदार नाथ सिंह ग्राम पंचायत बहुअरा में बेटे और बहू के नाम से करीब 11 बीघा जमीनें ली हैं और अपनी निधि का सारा पैसा उस पर खर्च किया है। बस्ती को उजाड़ने की कार्यवाही में उनकी साजिश है। उन्होंने बताया कि आज हम लोग यहां आए हैं और लोगों से बात भी की है। अब हम जिला प्रशासन के पास इनकी बात रखेंगे और उनसे बस्ती को नहीं उजाड़ने का अनुरोध करेंगे।
ग्रामीणों से जानकारी लेते सपा जिलाध्यक्ष विजय यादव, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अनिल यादव व अन्य |
सोनभद्र के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अनिल यादव ने ग्रामीणों के इस बात की पुष्टि की कि बस्ती वाली 15 बीघा भूमि डिस्ट्रिक्ट बोर्ड (जिला पंचायत) की थी। यह किन परिस्थितियों में प्रबंधन के लिए नहर प्रखंड को दी गई, यह जांच का विषय है। उन्होंने जिला पंचायत की भूमि को नहर प्रखंड को दिए जाने पर हैरत जताई। उन्होंने 'वनांचल एक्सप्रेस' से बात करते हुए साफ किया कि यह उनके कार्यकाल के दौरान नहर प्रखंड को भूमि नहीं दी गई है। उनके कार्यकाल से पूर्व ही इस भूमि को नहर प्रखंड को दे दी गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि जिला पंचायत कभी भी लोगों को बाप-दादा के समय से बसे लोगों को बेदखल नहीं करता है। वह उन्हें भूमि पट्टा या लीज पर दे देता है। उन्होंने कहा कि डिस्ट्रिक्ट बोर्ड की भूमि नहर प्रखंड को दिए जाने की प्रक्रिया की जांच की जानी चाहिए और इसमें जो भी अधिकारी और दोषी हैं, उनके खिलाफ शख्त से शख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
ग्रामीणों से वार्ता करता सपा प्रतिनिधिमंडल |
सपा जिलाध्यक्ष की अगुआई में प्रतिनिधिमंडल बस्ती में पहुंचने के बाद पूरे मामले की जानकारी लिया। उन्होंने विवादित बस्ती के लोगों से बात की और उन्हें भरोसा दिलाया कि समाजवादी पार्टी आप लोगों के साथ है। जब भी जरूरत होगी सपा का हर कार्यकर्ता आपके साथ खड़ा रहेगा। सपा प्रतिनिधि मंडल में जिलाध्यक्ष विजय यादव, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और सपा नेता अनिल यादव, चुर्क नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष एवं जिला महासचिव सईद कुरैशी प्रमुख रूप से शामिल रहे। इस मौके पर ओबरा राजकीय महाविद्याल छात्र संघ अध्यक्ष सतीश यादव, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अमरेश यादव सतीश यादव, मुकेश जायसवाल, ग्रामीण अरजीत यादव, अशोक मौर्य, इस्तखार समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।
बता दें कि ग्राम पंचायत बहुअरा में वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग (एसएच5ए) से सटी उत्तर प्रदेश सरकार (एन.जेड.ए) की करीब 15 बीघा भूमि है। इसके करीब 11 बीघा रकबे में 64 परिवारों की घनी बस्ती बसी शेष है। शेष भूमि परती है। इस 15 बीघा भूमि का प्रबंधन मीरजापुर नहर प्रखंड के पास है। वाराणसी (स्नातक खण्ड) विधान परिषद के सदस्य और भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक केदार नाथ सिंह ने गत 18 फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस 15 बीघा भूमि को खाली कराने का अनुरोध किया था। इसके लिए उन्होंने पत्र में बाहर से आकर मुस्लिम समुदाय द्वारा अतिक्रमण करने की बात का हवाला दिया था।
उनके पत्र पर सोनभद्र प्रशासन ने मामले की जांच कराई जिमसें विवादित भूमि पर 64 परिवारों की घनी बस्ती होने की बात जांच रिपोर्ट में आई। बाद में मीरजापुर नहर प्रखंड के जिलेदार (द्वितीय) ने कोरोना संकट के दौर में गत 19 जून को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के अंदर जवाब मांगा था। ग्रामीणों ने गत 26 जून को अपना जवाब जिलेदार (द्वितीय) को भेज दिया था। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधीन मिर्जापुर नहर प्रखंड ने उनके दावे को खारिज कर दिया है और उनकी बेदखली का आदेश प्राप्त करने के लिए उप-जिला मजिस्ट्रेट (SDM) के पास जाने की तैयारी कर रहा है।
'वनांचल एक्सप्रेस' ने इस मुद्दे पर पिछले दिनों एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसके बाद वाराणसी (स्नातक खण्ड) विधान परिषद निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी संजीव सिंह ने मीरजापुर नहर प्रखण्ड की ओर से जारी नोटिस को वापस लेने की मांग की थी। साथ ही उन्होंने भाजपा एमएलसी केदार नाथ सिंह के विधायक निधि से बेटे और बहू को लाभ पहुंचाने के आरोप की जांच कराने की मांग भी की थी। वहीं, वाराणसी स्थित मानवाधिकार जन निगरानी समिति के संयोजक लेनिन रघुवंशी ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को पत्र भेजकर मामले में कार्रवाई करने का अनुरोध किया था।
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