रविवार, 10 जनवरी 2016

संदीप पाण्डेय की बर्खास्तगी के खिलाफ बीएचयू प्रशासन का फूंका पुतला

बीएचचू गेट पर विश्विद्यालय प्रशासन का पुतला फूंकते
 युवक कांग्रेस के कार्यकर्ता और छात्रगण।

बीएचयू कैम्पस के भगवाकरण के खिलाफ आरएसएस विरोधी नारे लगे।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

वाराणसी। आईआईटी बीएचयू के विजिटिंग फैकल्टी पद से मैग्सेसे पुरस्कार सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय की बर्खास्तगी के खिलाफ युवक कांग्रेस की स्थानीय इकाई की अगुआई में छात्रों ने शुक्रवार को काशी विश्वविद्यालय के सिंघद्वार पर बीएचयू प्रशासन का पुतला फूंका। साथ ही उन्होंने बीएचयू कैम्पस का भगवाकरण किये जाने के खिलाफ आरएसएस विरोधी नारे लगाए।

युवक कांग्रेस की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि पिछले ढाई वर्षों से संदीप पाण्डेय बीएचयू आईआईटी में अतिथि प्रवक्ता रहे। इस बीच परिसर में वह अपने अनूठी कार्यशैली के लिए चर्चा का विषय भी बने रहे। आईआईटी के छात्रों को मनरेगा, आरटीआई और खेती-किसानी, वंचितों के सर्वेक्षण और उनके बच्चों का प्रवेश स्कूलों में करवाने के प्रोजेक्ट आदि बनवाने वाले शिक्षक के रूप में संदीप पाण्डेय छात्रों के बीच दोस्ताना सम्बन्ध रखते हैं।

पुतला दहन कार्यक्रम से पहले छात्रों की एक सभा हुई। इसमें युवक कांग्रेस के कैंट क्षेत्र के अध्यक्ष ओमशंकर ने कहा कि विवि परिसर आरएसएस की एक बड़ी शाखा या फिर कहे की नागपुर कार्यालय बनता जा रहा है। इसमें अब किसी को कोई शक या सुबहा नहीं रहेगा। संदीप जी एक प्रख्यात गाँधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता हैं और समाज़वादी वैचारक हैं। हम कांग्रेस के साथियों को तमाम आंदोलनों के समय मशविरे के रूप में आपने संयम और अहिंसा से आंदोलन चलाने की नसीहत दिया है। एक ऐसा व्यक्ति जो एशिया का विख्यात पुरस्कार मैग्सेसे से सम्मानित हो उसे राष्ट्रद्रोही कहना सही अर्थों में असहिष्णुता है। हम कांग्रेसजन युवा छात्र पिछले दिनों से लगातार विधायक अजय राय के लिए संघर्षरत हैं। जिस प्रकार के केस में जैसे विधायक जी पर बिना किसी सुबूत के रासुका लगा के उनका उत्पीड़न और मानहानि हो रही है, ठीक उसी प्रकार से संदीप पाण्डेय जी को भी आरएसएस के कुलपति राष्ट्रद्रोही बताकर अपमानित करना चाह रहे हैं। ये लोग ऐसा करके समाज के लिए संघर्ष कर रहे नेताओं को जनता से अलग करना चाह रहे हैं और फिर अपने कॉर्पोरेट फासिस्ज्म (पूंजीवादी फांसीवाद ) को जबरदस्ती लागू करना चाहते हैं।

'संदीप पाण्डेय जी की वजह से फेरी पटरी लगाने वाले तमाम वंचितों को पुलिस वसूली से निजात मिली है। चाय बेचने वाले प्रधानमंत्री के राज में सड़क पर चाय बेचना दुश्वार है , यदि संदीप सर न होते तो हमारी दुकाने ये बीएचयू और बनारस के पुलिस और अधिकारी मिलकर उजाड़ दिए होते', ये कहना है पटरी व्यवसायी समिति के अध्यक्ष चिंतामणि सेठ का। विश्विद्यालय प्रशासन का पुतला दहन करने के साथ ही युवाओं ने आक्रोश भरे लहज़े में कहा की कुलपति चेत जाएं और पाण्डेय की बहाली तत्काल करें। यह न भूले की इस विश्वविद्यालय की जमीन पर ही आरएसएस के कार्यालय को ज़मींदोज़ करने का गौरवशाली कार्य भी हुआ है। कहीं संदीप पाण्डेय का प्रकरण आरएसएस के अंत की शुरुआत न सिद्ध हो जाए ।

पुतला दहन और सभा में प्रमुख रूप से राघवेन्द्र चौबे,पार्षद गोविन्द शर्मा ,ओम शुक्ला, नागेन्द्र पाठक,,सलाउद्दीन खान,धनंजय त्रिपाठी,विकास सिंह ,रामजी पाण्डेय, विशाल मिश्रा,सिद्धार्थ केशरी जी,आशुतोष उपाध्याय जी,चिंतामणि सेठ,पंकज पाण्डेय ,शान्तनु चौबे ,रोहित चौरसिया ,अभिसेक चौरसिया, चंचल शर्मा, प्रेम सोनकर, चन्दन पटेल, अस्पताली सोनकर, इमाम हुसैन ,बाबू सोनकर आदि मौजूद रहे ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you for comment