प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेला-2016 में लगी डॉ. अंबेडकर प्रतिष्ठान की बुक स्टाल। |
‘अंबेडकर
वांग्मय’ के अब तल छपे 21 अंकों में से
केवल 11 अंक उपलब्ध।
Shiv Das
नई दिल्ली। डॉ.
भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के मौके पर सांसदों को अंबेडकर के विचारों के
प्रचार-प्रसार का पाठ पढ़ाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार
के मंत्री और नौकरशाह खुलेआम उनके विचारों की हत्या कर रहे हैं। प्रगति मैदान में
चल रहे विश्व पुस्तक मेला-2016 में केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता
मंत्रालय के अधीन डॉ. अंबेडकर प्रतिष्ठान के बुक स्टाल पर ‘अंबेडकर वांग्मय’ के करीब एक दर्जन अंक गायब हैं।
इनमें जातिप्रथा का उन्मूलन, हिन्दू धर्म की पहेलियां, अस्पृश्य होने का अर्थ, अछूतों
की जनसंख्या, जाति और संविधान, आदि पुस्तकें शामिल हैं। इसके अलावा ‘अंबेडकर वांग्मय’ के 22 से 40 अंकों के किताबों को
पिछले 15 वर्षों से छपने का इंतजार है। इससे अंबेडकर के विचारों को जानने के
इच्छुक पाठकों में मायूसी देखी जा रही है और वे इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार और
आरएसएस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
मेला में डॉ. अम्बेडकर
प्रतिष्ठान के बुक स्टाल पर ‘अंबेडकर वांग्मय’ के अब तल छपे 21 अंकों में से केवल 11 अंक ही मौजूद है। वह भी काफी कम मात्रा में। शेष 10 अंकों की प्रतियां
उपलब्ध क्यों नहीं होने के सवाल पर वहां कार्यरत कर्मचारी आलाधिकारियों से बात
करने की बात कहकर जानकारी देने से कतरा रहे हैं। प्रतिष्ठान द्वारा प्रकाशित की
जाने वाली मासिक पत्रिका 'सामाजिक न्याय सन्देश' का अक्टूबर, 2015 के बाद कोई भी अंक बाजार में नहीं आया है। इसके अलावा ‘अंबेडकर वांग्मय’ के 22 से 40 अंक के किताबों को
प्रकाशित करने का काम 15 साल पहले ही पूरा हो चुका है लेकिन उन्हें अभी तक छपने का
इंतजार है। प्रतिष्ठान में कार्यरत विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो संस्थान के पास
हर साल पर्याप्त फंड होता है लेकिन ‘अंबेडकर वांग्मय’ के प्रकाशक और संपादक दिल्ली के दबाव में इसमें रुचि नहीं ले रहे। हर साल
प्रतिष्ठान को आबंटित होने वाले फंड में महज दस फीसदी ही खर्च हो पाता है। शेष
धनराशि लैप्स हो जाती है। इसके बावजूद स्टाल पर कार्यरत कर्मचारी अम्बेडकर से जुड़ी
पुस्तकों को सस्ती और विश्वसनीय रूप में पाठकों तक पहुचाने के कार्य का दावा कर
रहे हैं।
टीवी पत्रकार महेंद्र मिश्र |
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल |
युवा पत्रकार अरविंद शेष |
बॉक्सः
अन्य
प्रकाशन उठा रहे मौके का फायदा
नई दिल्ली। अम्बेडकर प्रतिष्ठान पर पुस्तकों के न मिलने का फायदा अन्य
प्रकाशन उठा रहे हैं। अम्बेडकर की जीवनी पर आधारित 'अम्बेडकर संचयन' 1200 रुपये में मिल रही है जबकि
अम्बेडकर वांग्मय की पूरी सिरीज मात्र 500-600 रुपये में मिल
जाती है।
(सूचना संकलन और रिपोर्टिंग सहयोग: बिपिन दुबे)
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