अस्सी घाट पर जनसभा का आयोजन भी हुआ
वनांचल न्यूज नेटवर्क
वाराणसी। आईआईटी बीएचयू के विजिटिंग फैकल्टी पद से सामाजिक कार्यकर्ता संदीप
पांडेय की बर्खास्तगी के खिलाफ विभिन्न सामाजिक संगठनों ने रविवार को सामुहिक रूप
से काशी विश्वविद्यालय के सिंघद्वार से अस्सी घाट तक विरोध मार्च निकाला। यह विरोध
मार्च अस्सी घाट पर पहुंचकर जनसभा में तब्दील हो गया। इसमें बीएचयू परिसर के
भगवाकरण के सवालों के साथ नई शिक्षा नीति और पूंजीवादी फाँसीवाद के मुद्दों पर
चर्चा की गई।
संगठनों की ओर से जारी संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया है कि संदीप पाण्डेय सोनभद्र
के अवैध खनन का मसला हो या कनहर बांध परियोजना के विस्थापितों के पुनर्वास माँग हो,
राजातालाब में कोकाकोला के खिलाफ आंन्दोलन हो या लंका पर
पटरी व्यवसाइयों के नियमितीकरण की बात हो या फिर गंगा किनारे 200 मीटर में रह रहे बाशिंदों के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ बुलंद
करना हो, सभी मोर्चों पर मजलूमों के साथ
खड़े रहे। उन्होंने अपने छात्रों को भी ऐसे विषयों पर सोचने और सवाल उठाने के लिए
प्रेरित किया।
संदीप पाण्डेय का कहना है कि बीएचयू के कुलपति ने उन्हें नक्सलवादी और
राष्ट्रद्रोही करार देते हुए पद से हटाया है। विरोध मार्च में लोगो ने कहा की एक
सम्मानित सामाजिक कार्यकर्त्ता के लिए कुलपति ने यदि ये कहा है तो उन्हें तत्काल
क्षमा मांगनी चाहिए। मालवीय जी भी विश्वविद्यालय में सिर्फ किताबी शिक्षा देने के
पक्ष में कभी नहीं थे। वे चाहते थे कि विश्वविद्यालय का छात्र राष्ट्रनिर्माण और
समाज निर्माण में जुटे। संदीप पाण्डेय भी परिसर के छात्रों के साथ ऐसे ही सामाजिक
रचनात्मक विषयों पर कार्यक्रम करते रहे हैं।
ऐसा करना नक्सलवादी और राष्ट्रद्रोही कैसे हो सकता है भला ?
विरोध मार्च में संदीप पाण्डेय की तत्काल बहाली की मांग किया गया और ऐसा न
होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गयी है। विरोध मार्च में लोगों ने कहा कि संदीप
पाण्डेय के बीएचयू में आने से आम गरीब ग्रामीण, मजदुर, पटरी व्यवसायी प्रकृति के लोग आने जाने लगे थे।
गरीब मजलूम एक प्रोफेसर के कमरे में आराम से आते जाते थे।
यह बात विश्विद्यालय के उन लोगों को अच्छी नहीं लगी जो ये सोचते है की
विश्वविद्यालय एक वीआईपी स्थान है और विश्विद्यालय के शिक्षकों को इन गरीब गंदे
लोगो के साथ मिलना जुलना नहीं चाहिए। संदीप पाण्डेय गाँधीवादी नेता हैं। बीएचयू ने उन्हें जो अपमानित करने का काम किया
है उसका विरोध बनारस में शुरू हुआ और आज देश भर के टीवी न्यूज़ चैनलों अख़बारों और
बुद्धिजीवियों के बीच में हो रहा है और दिन रात बढ़ता ही जा रहा है
विरोध मार्च की अगुवाई गुमटी व्यवसायी कल्याण समिति लंका ने किया।
मार्च को समर्थन देने पंहुचे लोगों में प्रमुख रूप से
चिंतामणि सेठ, बाबू सोनकर, अस्पताली सोनकर, प्रेम सोनकर, धनञ्जय त्रिपाठी, विकास सिंह, रामजी पाण्डेय, विजय मिश्र, आनदं पाण्डेय, आकाश सिंह, प्रेमनाथ, धर्मा देवी, उर्मिला, महेंद्र, पार्वती, राजेश्वरी देवी, कृष्णा, रतन सोनकर, शीला देवी, संदीप, अजय, लक्ष्मी और मनीष भरद्वाज मौजूद रहे।
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