महेंद्र प्रजापति
"पत्रकारिता एक सेवा (सर्विस) है!" एक नया विषय सामने
आया। सुनकर हैरानी हुई। पहले मिशन, फिर प्रोफेशन यहाँ तक तो ठीक था अब सेवा (समाजसेवा) सुनकर
हैरानी तो होती ही है। दस वर्ष मुझे भी हो गए लेकिन किसी चेहरे की ऐसी कोई धुंधली
तस्वीर भी नहीं आती जो कभी समाजसेवा में पत्रकारिता का इस्तेमाल किया हो। यहा तो
दलालो की एक लंबी जमात है जो मिले तो समाज से ही सेवा ले लेंगे। कई चेहरे ऐसे भी
है जो काफी प्रतिभावान ऊर्जावान लच्छेदार वक्तव्यों के धनी लेकिन पत्रकारिता को
कोसते नजर आते है और पत्रकारिता की आड़ में अपने उल्टे सीधे व्यवसाय को चला रहे
हैं। उनकी पहचान पत्रकारिता (बैनर) है और उसे हटा दे तो नमस्कार करने वाले भी नहीं
मिले। फिर भी घमंड इतना कि जैसे बहुत बड़े समाजसेवी वही हैं।
दूसरी कटेगरी उनकी जो पुलिस और अधिकारियो की सेवा में लगे रहते है। उनकी हर
प्रायोजित कार्यक्रम को बढ़ा चढ़ा कर कवरेज देना ही उनकी पत्रकारिता सेवा है। उनके
दिलो में यह भाव इतना प्रबल है कि कभी कभी पुलिस की गलतियों पर फसती गर्दन को देख
उन्हें शत प्रतिशत आश्वासन देते है कि ये खबर प्रसारित ही नही होगी। तीसरी कटेगरी
उनकी जो किसी खबर पर तो नही होते लेकिन इस बात का इंतज़ार जरूर करते है कि किसी
अधिकारी की प्रेस कांफ्रेंस कब है। सटीक जानकारी प्राप्त करते हुए समय से पूर्व
अपनी सेवा देने पहुच जाते है और अधिकारी को इतना बड़ा सब्जबाग दिखाते है जैसे खबर
तो उनके ही अनुसार छपेगी। कभी कभी लगता है ज्यादा जोश में बढ़ा चढ़ा कर लिखने के
चक्कर में छेड़खानी को बलात्कार न लिख दे।
चौथी कटेगरी है मीन मेख निकालने वाले लोगो की..ये लोग अपनी पॉजिटिव ऊर्जा को
निगेटिव कार्यो में लगाते हैं। दिन भर गलतिया ढूंढते है लेकिन गलती करने वाले को
जब अंजाम तक पहुचाने की बारी आती है तो सहृदय हो जाते है और समाज में गन्दगी
फ़ैलाने का उन्हें एक मौका और देते हैं अब इसे कौन सी सेवा कही जाय?
कटेगरी और भी है लेकिन विषय "पत्रकारिता सेवा" का
था तो अब ऐसे पत्रकार गुमनामी के अंधेरे में चले गए जो वास्तव में समाज को कुछ
देना चाहते है।जितना बड़ा बैनर उतने बड़े दलाल का चेहरा सामने आता है।
अच्छी बाते
करना आसान है लेकिन अच्छे कार्य महान बनाते है जो वास्तव में पत्रकारिता से समाज
की सेवा करते है ऐसे कई चेहरे है जो सार्वजनिक नही होना चाहते और न ही किसी मंच से
सम्मानित होने की लालसा रखते है। छपास के रोगी पत्रकारो के वजह से पत्रकारिता का
स्तर लगातार गिर रहा है। सस्ती लोकप्रियता के लिए इस क्षेत्र में युवा पीढ़ी काफी
आकर्षित है पत्रकारिता के ग्लैमर को देख कर आया युवा अब किस प्रकार की सेवा देगा
इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है।
( महेंद्र प्रजापति उत्तर प्रदेश में मुगलसराय
के निवासी हैं और पिछले दस सालों से विभिन्न टीवी चैनलों और अखबारों के लिए
रिपोर्टिंग कर रहें हैं।)
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