-संघ और भाजपा नेताओं द्वारा छात्र संगठन एसआईओ के कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमला मुसलमानों पर हो रहे सरकार संरक्षित हमले की ताजा मिसालः रिहाई मंच।
-मंच 16 मार्च को निकालेगा 'जन विकल्प मार्च'
वनांचल न्यूज नेटवर्क
लखनऊ। देश के विभिन्न इलाकों में बेगुनाहों की रिहाई के लिए सशक्त अभियान
चलाने वाला 'रिहाई मंच' आगामी 16 मार्च को 'जन विकल्प मार्च' निकालकर भाजपा और समाजवादी पार्टी के
गठजोड़ को बेनकाब करेगा। साथ ही उसने राज्य की सपा सरकार पर मुसलमानों से वादाखिलाफी
करने,
सूबे को सांप्रदायिक हिंसा में ढकेलने समेत दलितों और
महिलाओं का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। मंच ने स्पष्ट कहा कि चुनाव जीतने के लिए
कभी मुजफ्फरनगर तो कभी लव जेहाद जैसे एजेंडे को आगे किया जाता है। कभी एखलाक की
हत्या की जाती है तो कभी हरियाणा में दलितों की हत्या का नंगा नाच किया जाता है।
खुफिया एजेंसियों द्वारा अलकायदा के नाम पर कभी संभल तो कभी आईएस के नाम पर लखनऊ
और कुशीनगर को निशाना बनाया जाता है। पूरे देश में वे जिस तरह से मुस्लिम युवाओं
को फंसा रही हैं,
'जन विकल्प
मार्च'
उसके खिलाफ एक संगठित आवाज होगा जो जन आंदोलन के माध्यम से
नए राजनीतिक विकल्प का निर्माण करेगा। साथ ही यह कॉर्पोरेट और मीडिया परस्त
राजनीति को शिकस्त देगा।
रिहाई मंच ने दलित छात्र रोहित वेमुला और जेएनयू के छात्रों के समर्थन में
गांधी प्रतिमा हजरतगंज लखनऊ में हस्ताक्षर अभियान चला रहे छात्र संगठन एसआईओ के
छात्रों पर संघ और भाजपा नेताओं द्वारा जानलेवा हमले को सपा सरकार में पूरे सूबे
के मुसलमानों पर हो रहे सरकार संरक्षित हमले की ताजा मिसाल बताया है। मंच ने कहा
है कि विधानसभा से सौ मीटर की दूरी पर सैकड़ों पुलिस वालों की मौजूदगी में किया
गया हमला बिना प्रशासनिक मिलीभगत के संभव नहीं है। मंच ने संघ के साम्प्रदायिक
आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए हजरतगंज कोतवाली के पूरे पुलिस अमले
को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है। मंच ने आरोप लगाया है कि इसी साम्प्रदायिक
पुलिस अमले ने कुछ दिनों पहले एसएफआई कार्यालय पर भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा हमला
करवाया था। मंच ने यह भी कहा है कि यह अकारण नहीं है कि सपा मुखिया मुलायम सिंह के
यह कहते ही ऐसे हमले बढ़ गए हैं कि उन्हें बाबरी मस्जिद तोड़ने आए भाजपाईयों पर
गोली चलाने का आदेश देने पर दुख है।
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद
शुऐब ने कहा है कि सपा ने 2012 में मुसलमानों से 16 सूत्री वादा किया था जिसमें से चार साल पूरे होने के
बावजूद एक भी वादा पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि सपा ने अपने चुनावी
घोषणापत्र के पृष्ठ संख्या 12 से 15 पर यह वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद आतंकवाद के
नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम युवकों को छोड़ दिया जाएगा,
इन आरोपों से बरी हुए लोगों का पुर्नवास किया जाएगा,
मुसलमानों को 18 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा, सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग की सिफारिशों पर अमल किया
जाएगा,
पुलिस में मुसलमानों की भर्ती के लिए विशेष प्राविधान किया
जाएगा,
मुस्लिम बहुल जिलों में नए सरकारी शैक्षिक संस्थानों की
स्थापना की जाएगी, मुस्लिम बहुल इलाकों में उर्दू माध्यम के स्कूलों की
स्थापना की जाएगी, मदरसों में तकनीकी शिक्षा के लिए विशेष बजट आवंटित किया
जाएगा। लेकिन ये सारे वादे झूठे साबित हुए हैं।
उन्होंने कहा कि इसी तरह बुनकरों
से वादा किया गया था कि किसानों की तरह उन्हें भी बिजली मुफ्त दी जाएगी। लेकिन यह
वादा भी झूठा साबित हुआ। इसीतरह वादा किया गया था कि कब्रिस्तानों की सुरक्षा की
गारंटी करने के लिए विशेष बजट का प्रावधान किया जाएगा। लेकिन सच्चाई यह कि इन चार
सालों में कब्रिस्तानों का अतिक्रमण और बढ़ा है जिसमें कई जगह तो सीधे सपा नेताओं
की भूमिका उजागर हुई है। उन्होंने कहा कि सपा सरकार न सिर्फ चुनावी वादों से मुकर
गई है बल्कि खुल कर संघ और भाजपा के मुस्लिम विरोधी एजेंडे को बढ़ा रही है। इसीलिए
दादरी में हुई एखलाक की हत्या की सीबीआई जांच का उसने आदेश नहीं दिया तो वहीं
मुजफ्फरनगर जनसंहार के दोषीयों को बचाने के लिए उसने जस्टिस सहाय कमीशन की रिपोर्ट
को सार्वजनिक नहीं किया।
मंच के अध्यक्ष ने कहा कि सपा ने चुनावी वादा किया था कि वह आतंकवाद के नाम
कैद बेगुनाहों को रिहा करेगी पर उसने वादा पूरा नहीं किया और जब आरडी निमेष कमीशन
की रिपोर्ट ने मौलाना खालिद और तारिक कासमी की गिरफ्तारी को संदिग्ध कहते हुए
दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की तो उसने पुलिस और खुफिया एजेंसियों को
बचाने के लिए मौलाना खालिद की हत्या करवा दी। उन्होंने कहा कि रिहाई की इस मुहिम
के तहत लगातार बेगुनाह आदालती प्रक्रिया से छूट रहे हैं पर सपा जिस तरह से वादा
करने के बाद भी पुर्नवास नहीं कर रही है वो साबित करता है कि अखिलेश यादव संघी
मानसिकता से अदालतों से बाइज्जत बरी मुस्लिम नौजवानों को आतंकी समझते हैं।
मंच के अध्यक्ष ने कहा कि जेएनयू के छात्र जिस तरह से संघर्ष कर रहे हैं वह
देश में इंसाफ की लड़ाई को नई दिशा देगा। आज जिस तरह से उमर खालिद,
कन्हैया समेत तमाम छात्रों को भाजपा और सुरक्षा-खुफिया
एजेंसियों का गठजोड़ देशद्रोही कह कर हमले कर रहा है वह बताता है कि यह हमला उन
तमाम प्रगतिशील मूल्यों पर है जो वंचित समाज के हक में हैं। उन्होंने कहा कि जिस
तरह से उमर खालिद को इस घटना के बाद मुस्लिम होने का एहसास हुआ और उनके पिता
वेलफेयर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कासिम रसूल इलियास व उनके बच्चों को धमकियां
दी गई वह साबित करता है कि देश में मुसलमानों की स्थिति दोयम दर्जे की हो गई है।
मुहम्मद शुऐब ने कहा है कि मुसलमानों की तरह ही प्रदेश के दलितों और महिलाओं
को भी चार साल तक धोखा दिया गया। जहां
दलितों और महिलाओं पर सामंती हमला बढ़ा है वहीं मुख्यमंत्री के आवास के पीछे से भी
लड़कियों के शव मिलने लगे हैं। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि जनता सपा सरकार के
झूठे दावों की पोल खोले और नए समाज निर्माण की राजनीतिक जिम्मेदारी को उठाने का
संकल्प ले। उन्होंने कहा कि 16 मार्च को रिफाह-ए-आम से विधान सभा तक ‘जन विकल्प मार्च’ निकाल कर रिहाई मंच सपा सरकार के झूठ और लूट को उजागर
करेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you for comment