साझा संस्कृति मंच द्वारा आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने लगाया आरोप। “प्रतिरोध की संस्कृति और अभिव्यक्ति की आजादी पर फासीवाद,
पूंजीवाद और मनुवाद का साझा हमला”
विषय पर गोष्ठी का हुआ आयोजन।
वनांचल न्यूज नेटवर्क
वाराणसी। छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी की नेता एवं आदिवासी महिला सोनी सोढ़ी
पर हमला राज्य सरकार और जिला प्रशासन की शह पर किया गया है। हमलावरों ने बस्तर के
आइजी पर दायर मुकदमे को वापस लेने के लिए उनपर दबाव बनाया और ऐसा नहीं करने पर
उन्होंने उनके साथ उनकी 15 वर्षीय बेटी को भी शिकार बनाने की धमकी दी है।
ये बातें गुरुवार को छावनी परिसर स्थित प्रेरणा कला मंच कार्यालय में साझा
संस्कृति मंच की ओर से आयोजित “प्रतिरोध की संस्कृति और अभिव्यक्ति की आजादी पर फासीवाद,
पूंजीवाद और मनुवाद का साझा हमला”
विषयक गोष्ठी में वक्ताओं ने कही। इस दौरान मशहूर
वृत्तचित्र फिल्मकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौहर रजा की फिल्म “जुल्मतों के दौर में” का सामुहिक प्रदर्शन किया गया। इसका संदर्भ बस्तर में सोनी
सोढ़ी पर हुए हमला और पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम की पिटायी था।
संगोष्ठी में शामिल संगठनों ने सोनी सोढी के द्वारा आदिवासी अधिकारों की बहाली
के लिये किये जा रहे अनवरत संघर्ष की प्रशंसा की। वक्ताओं ने कहा कि आदिवासियों के
हक और अधिकार की बात उठाने और कार्पोरेट ताकतों द्वारा आदिवासी और दलित समाजों के
दमन के खिलाफ लगातार चलाये जाने वाले जन आन्दोलनों से घबरा कर हमलावरों ने सोनी
सोढी पर यह हमला किया गया है। छत्तीसगढ़ में रोजाना अमन पसन्द लोगों,
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और मूलनिवासियों पर हमले किये जा
रहे हैं। उनके पक्ष में खड़े होने वाले पत्रकारों और वकीलों को भी नहीं बख्शा जा
रहा है। ऐसे में राज्य सरकार और प्रशासन के द्वारा हांथ पर हांथ धरे बैठे रहना यह
पुख्ता करता है कि प्राकृतिक संसाधनों की लूट में कार्पोरेट घरानों को राज्य का
समर्थन हासिल है। बता दें कि पुलिसकर्मियों द्वारा हाल ही में बस्तर में आदिवासी
लड़कियों के बलात्कार के खिलाफ सोनी सोढ़ी ने मुकदमा किया है,
जिसमें बस्तर रेंज के आइजी भी आरोपित हैं।
इस दौरान फिल्म “जुल्मतों के दौर में” का प्रदर्शन किया गया। यह फिल्म तानाशाह हिटलर के जमाने में
जर्मनी में फैलाये गये अंध और अति राष्ट्रवाद पर आधारित है। राष्ट्रवाद के नाम पर
जर्मनी ने अपने देश में अल्पसंख्कों का नरसंहार किया और पूरी दुनिया को दूसरे
विश्व युद्ध की आग में झोंक दिया था। यह फिल्म संदेश देती है कि सच्चे अर्थों में
देशभक्ति शान्तिपुर्ण सह अस्तित्व का नाम है जिसमें सभी देशवासी आपस में प्रेम,
सौहार्द के साथ रहें और सभी मिल कर जाति-धर्म-वर्ग आदि पर आधारित
भेदभाव का नाश करें।
गोष्ठी में डा. आनन्द प्रकाश तिवारी, जागृति राही, एकता, फ़ादर आनन्द, डा आरिफ, रवि शेखर, डा लेनिन रघुवंशी
धनन्जय त्रिपाठी, दिलीप दिली , लक्ष्मण प्रसाद, महेंद्र राठोर, वल्लभाचार्य पांडेय, दीन दयाल सिंह आदि ने भागीदारी की और विचार रखे।
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