रिहाई मंच ने की निंदा। कहा-संघ समर्थक वकीलों द्वारा महिलाओं पर हमले ने
उजागर किया उसकी महिला विरोधी मानसिकता।
वनांचल न्यूज नेटवर्क
इलाहाबाद/लखनऊ। कथित राष्ट्रवाद के नाम पर कानून को हाथ में लेकर हिंसा करने का
दस्तूर अभी भी जारी है। नई दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के बाद संघ-भाजपा समर्थक
वकीलों ने आज इलाहाबाद कलेक्ट्रेट परिसर में धरना दे रहे भाकपा (माले) समेत
वामपंथी संगठनों के कार्यकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा।
इस दौरान हमलावर वकीलों ने लाठी-डंडे को प्रयोग भी किया जिसमें महिलाओं समेत
दर्जनों लोग बुरी तरह से घायल हो गये। घायलों की शिकायत पर कर्नलगंज थाने की पुलिस
ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है लेकिन उनपर लगाई गई धाराओं को
उजागर नहीं किया है। उधर भाकपा (माले) और अन्य वामपंथी संघटनों समेत रिहाई मंच ने
घटना की पुरजोर निंदा की है और कहा है कि यह सपा सरकार की पुलिस के
संरक्षण में सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाने की कोशिश है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि रोहित वेमुला और जेएनयू प्रकरण को लेकर वामपंथी संगठनों ने आज
राष्ट्रीय स्तर पर विरोध-प्रदर्शन का एलान किया था। भाकपा (माले) के केके पाण्डेय
समेत विकास स्वरुप, अन्तस सर्वानंद, अखिल विकल्प, अविनाश मिश्रा, उत्पला, मानविका, झरना मालवीया, सुनील मौर्या, रणविजय, उमाशंकर, भीम सिंह चंदेल, राजेश सचान, सुभाष कुशवाहा, डॉ. कमल, अंकुश दुबे समेत सैकड़ों लोग कलेक्ट्रेट परिसर में धरना दे
रहे थे। इसी दौरान आधा दर्जन वकील वहां पहुंचे और उनका विरोध करने लगे। थोड़ी देर
बाद धरनास्थल पर सैकड़ों की संख्या में वकील वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे
लगाते हुए वहां पहुंचे। पहले उन्होंने विरोध किया और फिर उनपर टूट पड़े। इस दौरान
महिला कार्यकर्ताओं के साथ बदसलूकी भी की गई। वकील इस कदर आक्रोशित थे कि वे
धरनारत लोगों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटने लगे। उन्होंने महिलाओं को भी पीटा और उन्हें
गाली दी। वकीलों आरोप लगा रहे थे कि धरनारत लोग देश विरोधी नारे लगा रहे थे। इस
कारण इनकी पिटाई की गई।
उधर वकीलों की खुलेआम गुंडागर्दी को भाकपा (माले) समेत विभिन्न वामपंथी
संगठनों ने सपा समर्थित संघ कार्यकर्ताओं का हमला करार दिया। भाकपा (माले) के नेता
सुधीर सुमन ने कहा कि कथित राष्ट्रवाद के नाम पर संघी मानसिकता वाले वकील संघ और
भाजपा के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाना चाहते हैं और राज्य की सपा सरकार उनका साथ
दे रही है। देश में आपातकाल जैसे हालात हो गए हैं। वहीं,
रिहाई मंच ने इलाहाबाद कचहरी में रोहित वेमुला और जेएनयू के
छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अन्य छात्रों के सवाल पर किए जा रहे धरने पर
आरएसएस के गुण्डे वकीलों द्वारा किए गए हमले की कड़ी निंदा की। मंच ने कहा कि
आगामी 16 मार्च को लखनऊ में होने वाला ‘जन विकल्प मार्च’ सपा और भाजपा के सांप्रदायिक गठजोड़ को बेनकाब करेगा।
इंसाफ अभियान के प्रदेश प्रभारी हाईकोर्ट अधिवक्ता राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि इलाहाबाद में आरएसएस पोषित वकीलों द्वारा हमला पूर्वनियोजित व पुलिस के संरक्षण में हुआ। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से संघी गुण्डों ने महिला कार्यकर्ताओं पर हमले ही नहीं किए बल्कि उनके साथ आभद्रता और भद्दी-भद्दी गालियां दी उसने इन संघी राष्ट्रवादियों का महिला विरोधी चेहरा बेनकाब किया है। उन्होंने बताया कि केके पाण्डेय, विकास स्वरुप, अन्तस सर्वानंद, अखिल विकल्प, अविनाश मिश्रा, उत्पला, मानविका, झरना मालवीया, सुनील मौर्या, रणविजय, उमाशंकर, भीम सिंह चंदेल, राजेश सचान, सुभाष कुशवाहा, डा0 कमल, अंकुश दुबे इस हमले में घायल हुए। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता विरोधी ताकतों पर सपा के सरंक्षण में किए जा रहे हर संघी हमले का जवाब दिया जाएगा।
रिहाई मंच प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव ने कहा कि कल अमित शाह के यूपी
में बहराइच दौरे के बाद जिस तरीके से लखनऊ में और आज इलाहाबाद में संघियों ने
हिंसक हमले किए उसने साफ कर दिया कि सपा सरकार के पुलिसिया संरक्षण में भाजपा के
गुण्डे हमले कर रहे हैं। इसीलिए हमलावरों को पकड़ना तो दूर उनके खिलाफ एफआईआर तक
दर्ज नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ठीक इसी तरह मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक
हिंसा भी गुजरात से तड़ीपार अमित शाह के यूपी में सक्रिय होने के बाद हुई।
उन्होंने मांग की कि अखिलेश यादव अमित शाह के यूपी में आने पर प्रतिबंध लगाएं।
अनिल यादव ने कहा कि जिस तरीके से भाजपा रोहित वेमुला के सवाल पर दलितों की बीच
घिर गई है ऐसे में यूपी में सुहेलदेव की मिथकीय सांप्रदायिक इतिहास को हवा देकर वह
यूपी के तराई हिस्सों में सांप्रदायिकता की आग भड़काने का षडयंत्र रच रही है।
रिहाई मंच नेता शकील कुरैशी ने आरोप लगाया कि जो खुफिया एजेंसियां बहराइच में
सिमी के सक्रिय होने की झूठी खबरें मीडिया में प्लांट करती हैं उन्हें इन संघियों
द्वारा सांप्रदायिकता का जो बारुद बिछाया जा रहा है वह क्यों नहीं दिख रहा है।
उन्होंने अपील की कि प्रदेश में सांप्रदायिक व जातीय हिंसा के खिलाफ मजबूत आवाज
उठाने के लिए 16 मार्च को होने वाले ‘जन विकल्प मार्च’ में इंसाफ पसंद अवाम ज्यादा से ज्यादा तादाद में पहंुचे।
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