शनिवार, 23 मई 2020

राजस्थान: गरीबों की सेहत के ठेके में 1500 करोड़ का 'खेल', 2000 करोड़ की जगह 3500 करोड़ में BAJAJ ALLIANZ को दिया ठेका

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक दस्तावेज़ के मुताबिक राज्य के 50 लाख परिवारों को कवर करने का ठेका बजाज आलियांज़ जीआइसी लिमिटेड को मिला है। नियमों के मुताबिक इस ठेके का मूल्य 2000 करोड़ से ज्यादा नहीं होना चाहिए था लेकिन सरकार बजाज आलियांज़ को इसके लिए 3500 करोड़ देगी जिससे राजकोष को 1500 करोड़ का घाटा होगा...

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

राजस्थान में कांग्रेस की सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत बीमा का ठेका 75 फीसद ज्यादा मूल्य पर एक निजी कंपनी को दे दिया है। इस योजना के लिए दो बार बोली आमंत्रित की गयी लेकिन दिलचस्प बात ये है कि दोनों ही मौकों पर एक ही कंपनी ने बोली लगायी।


बीमा का जो ठेका 2000 करोड़ रुपये में दिया जाना था, वह राज्य सरकार द्वारा बजाज आलियांज़ जीआइसी कंपनी को 3500 करोड़ में दिया गया है जिससे राजकोष को 1500 करोड़ का चूना लग जाएगा। यह सब कुछ लॉकडाउन के बीच में हुआ है जबकि इसी बीच बाकी दूसरे राज्यों सरकारों ने महामारी के चलते बोली की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया था।

यह कहानी बहुत दिनों ने राजस्थान के सरकारी हलके में घूम रही थी, लेकिन शनिवार को अंततः इसे स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने ट्वीट कर के सार्वजनिक कर दिया है। अपने ट्वीट में महाजन ने टेंडर के काग़ज़ात को लगाते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन को टैग करते हुए लिखा है कि कोविड-19 के नाम पर हो रही सरकारी लूट को मंजूरी न दें।


राज्य सरकार ने न केवल 2000 करोड़ का ठेका 3500 करोड़ में दिया है, बल्कि दो मौकों पर बोली की प्रक्रिया में केवल एक ही कंपनी शामिल रही। गहलोत सरकार ने लॉकडाउन के बीच जल्दीबाज़ी में इस प्रक्रिया को निपटाया, जिसके अंतर्गत राजस्थान की जनता को आयुष्मान भारत योजना में कवर किया जाना है।

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक दस्तावेज़ के मुताबिक राज्य के 50 लाख परिवारों को कवर करने का ठेका बजाज आलियांज़ जीआइसी लिमिटेड को मिला है। नियमों के मुताबिक इस ठेके का मूल्य 2000 करोड़ से ज्यादा नहीं होना चाहिए था लेकिन सरकार बजाज आलियांज़ को इसके लिए 3500 करोड़ देगी जिससे राजकोष को 1500 करोड़ का घाटा होगा।
सूत्रों की मानें तो बजाज आलियांज़ को यह ठेके देने में केंद्रीय सतर्कता आयोग के दिशानिर्देशों और राजस्थान ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रॉक्योरमेंट रूल्स, 2013 (नियम 68) का उल्लंघन किया गया है। सरकारी खरीद में पारदर्शिता संबंधी राजस्थान का अधिनियत कहता है कि केवल एक बोली के मामले में उसे योग्य तभी समझा जाएगा यदि “बोली लगाने वाले द्वारा दिया गया मूल्य तर्कसंगत जान पड़े”।

विडम्बना है कि राजस्थान सरकार जिस दौर में अपने कर्मचारियों को वेतन दे पाने में संघर्ष कर रही है, उस बीच 75 फीसदी ज्यादा दर पर यह सरकारी ठेका एक निजी कंपनी को सौंपा गया है।

राजस्थान सरकार 2015 से ही नागरिकों के लिए भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत नकदरहित स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराती रही है। राज्य की इस योजना का विलय अब आयुष्मान भारत के साथ कर दिया गया है। इसी के लिए 17 अक्टूबर, 2019 को विस्तारित कवरेज के साथ एक ताजा टेंडर निकाला गया था। इस टेंडर के तहत मौजूदा बीमा अवधि दिसम्बर 2019 में समाप्त होने के बाद बीमादाताओं से बोली आमंत्रित की गयी थी।

सूत्र बताते हैं कि सरकारी बीमा कंपनियों, जैसे न्यू इंडिया एश्योरेंस और नेशनल इंश्योरेंस ने भी टेंडर भरा था और वो भी कम दाम पर, लेकिन बोली की प्रक्रिया में उनकी अनदेखी की गयी। दो मौकों पर केवल एक ही बोली लगाने वाला मिला, वो थी बजाज आलियांज़ जीआइसी।

इस आकर्षक ठेके लिए तकनीकी बोली सबसे पहले 21 जनवरी, 2020 को आमंत्रित की गयी लेकिन केवल एक बोलीकर्ता बजाज आलियांज़ के होने के चलते टेंडर को कैंसिल करना पड़ा। कहा जा रहा है कि बाकी इंश्योरेंस कंपनियों ने ज्यादातर इसलिए आवेदन नहीं किया क्योंकि ठेके की शर्तों में एक शर्त यह भी थी कि यदि सरकार की ओर से 180 दिन (छह माह) तक प्रीमियम का भुगतान नहीं होता है तब भी बीमादाता अपनी ओर से अनुबंध को रद्द नहीं कर सकता।

बीमा कंपनियों की इस चिंता से वाकिफ़ होने के बाद सरकार ने 180 दिन की अवधि को घटाकर 90  दिन कर दिया और दोबारा 19 फरवरी, 2020 को टेंडर निकाला। इसमें इकलौचा पेंच बस यह था कि बोलियां मई के महीने में लॉकडाउन के बीच आमंत्रित की गयीं जब तमाम बीमा कंपनियों के दफ्तर बंद पड़े थे।

केरल जैसे राज्यों ने महामारी के कारण जहां टेंडर की प्रक्रिया को टाल दिया, वहीं राजस्थान सरकार ने इसे जारी रखा और इस बार भी बोली लगाने केवल एक कंपनी सामने आयी, बजाज आलियांज़ जीआइसी।

बजाज आलियांज़ जीआइसी ने यह टेंडर (आइडी 2020_MEDIC_178447) 6 मई को भरा और राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने दो दिन बाद 8 मई को इसे स्वीकार कर लिया।   

स्वदेशी जागरण मंच के अश्वनी महाजन की ओर से अब यह मुद्दा सार्वजनिक किया जा चुका है, जिसमें राज्य सरकार पर पैसे की लूट के आरोप लगाये गये हैं। राज्य सरकार और बजाज आलियांज़ के बीच हुए इस करार में अब तक बीमा का पहला प्रीमियम चूंकि नहीं भरा गया है, इसलिए सारा आरोप अभी काग़ज़ों में ही है। ये आरोप कितने सही हैं और कितने गलत, यह तो जांच के बाद भी साफ़ हो पाएगा।

नोट- यह रिपोर्ट मूल रूप से जनपथ पर प्रकाशित हुई है। बतौर साभार यहां प्रकाशित किया जा रहा है।-संपादक

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you for comment