शनिवार, 23 मई 2020

योगी सरकार ने सरकारी सेवकों के प्रदर्शन और हड़ताल पर लगाई रोक, वर्कर्स फ्रंट ने की निंदा

फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने कहा- "आरएसएस-भाजपा की डरी सरकार आपातकाल की ओर बढ़ी"। सरकार के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कही।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊ। कोविड-19 महामारी का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सरकारी सेवकों और मजदूर संगठनों के किसी भी प्रकार के हड़ताल पर रोक लगा दी है। उत्तर प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंहल ने शुक्रवार को राज्य के सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, मंडलायुक्त और जिलाधिकारी को आदेश जारी कर उत्तर प्रदेश सरकार कर्मचारियों के आचरण नियमावली-1956 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन कराने को कहा। साथ ही उन्होंने उत्तर प्रदेश (सेवा संघों की मान्यता) नियमावली-1979 के प्रावधानों के तहत ऐसा करने पर मजदूर संगठनों की मान्यता वापस लेने की धमकी दी है। उधर वर्कर्स फ्रंट ने योगी सरकार के इस आदेश की निंदा की और सरकार से इस आदेश को वापस लेने की मांग की। साथ ही फ्रंट ने चेतावनी दी कि अगर योगी सरकार ऐसा नहीं करती है तो फ्रंट उसके आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगा।


वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने मीडिया को जारी विज्ञप्ति में कहा है कि उत्तर प्रदेश में आरएसएस-भाजपा की योगी सरकार कोरोना महामारी से निपटने में पूरे तौर पर विफल रही है और कारपोरेट की सेवा में लगी हुई है। वह अंदर से बेहद डरी हुई है। यही वजह है कि वह आपातकाल की ओर बढ़ रही है। उसने उत्तर प्रदेश में एस्मा लगाकर कर्मचारियों से सांकेतिक प्रदर्शन तक का अधिकार छीन लिया है। 

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के समय जनता को राहत देने के लिए जब प्रदेश के कर्मचारी अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों की जिंदगी बचा रहे थे, अपने परिवारों तक से न मिलकर कोरोना पीड़ितों की मदद कर रहे थे और यहां तक कि रविवार और अवकाश में भी दिन-रात काम कर रहे थे। उस समय केन्द्र सरकार के आदेश के बाद राज्य सरकार ने भी सभी विभागों, निगमों व प्राधिकरणों के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते पर डेढ़ साल के लिए रोक लगा दी। इतना ही नहीं उसने एक कदम और आगे बढ़कर यातायात, आवास, सचिवालय, पुलिस सेवा जैसे अन्य भत्तों को पहले स्थगित किया और बाद में उसको पूर्णतया खत्म कर दिया। स्वभावतः इससे पूरे मनोयोग से राष्ट्रसेवा में लगे कर्मचारियों के मनोबल को गहरा धक्का लगा और उन्होंने अपने अंदर पैदा हुए आक्रोश की अभिव्यक्ति अपने काम को मुस्तैदी से करते हुए महज बांह पर काली पट्टी बांधकर किया। 

दिनकर कपूर ने बताया कि राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह और शिक्षक कर्मचारी समन्वय समिति के संयोजक अमरनाथ यादव ने विभिन्न तिथियों पर सांकेतिक विरोध का ही कार्यक्रम रखा था। क्योंकि कोरोना महामारी की परिस्थितियों को देखते हुए कर्मचारी संगठन और कर्मचारी भी आवश्यक सेवाओं में व्यवधान नहीं उत्पन्न करना चाहते है। बावजूद इसके सरकार ने उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम 1966 की घारा 3 की उपघारा 1 के द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए अगामी छः माह के लिए हड़ताल पर रोक लगा दी। लेकिन इतने से ही इस डरी हुई सरकार को संतुष्टि नहीं मिली कल उसने एक और आदेश जारी करके धरना, सांकेतिक प्रदर्शन एवं प्रदर्शन को भी प्रतिबंधित कर दिया। कार्मिक विभाग अनुभाग 4 द्वारा जारी इस आदेश में कहा गया कि कोई भी कर्मचारी यदि इसमें भाग लेता है तो उसके विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी और मान्यता प्राप्त संघों की मान्यता समाप्त कर दी जायेगी।

उन्होंने कहा कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार 19 का उल्लंधन है जो हमें अभिव्यक्ति की आजादी देता है। यह अतंराष्ट्रीय श्रम संगठन के 1930 में जबरी काम कराने के संकल्प और 1948 में पारित श्रम संगठन बनाकर अपनी बात कहने के संकल्प का उल्लंधन है। गौरतलब है कि भारत सरकार इन संकल्पों से बंधी है और यह उसके लिए बाध्यकारी है। उन्होंने कहा कि सांकेतिक प्रदर्शन से भी रोकने का सरकार का फैसला मनमाना और विधि विरूद्ध है जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी जायेगी।

उन्होंने कहा कि हालांकि यह भी सच है कि राज्य कर्मचारियों ने बड़ी संख्या में चुनाव में भाजपा की मदद की थी और पोस्टल बैलेट जो राज्य कर्मचारियों का ही होता है उसमें सबसे ज्यादा भाजपा को ही वोट दिया था। लेकिन बड़े कारपोरेट घरानों के लाभ के लिए सरकार ने उसके भक्त बने कर्मचारियों पर हमला बोला है। उन्होंने कर्मचारियों से अपील भी की कि अब सरकार के साथ चाय पीते हुए समस्या हल कराने के दिन बीत गए यह हमला राजनीतिक है इसलिए इसके विरूद्ध निराश होने की जगह राजनीतिक प्रतिवाद में उतरना होगा। आप जमीनी स्तर पर जनता के साथ रहते है उन्हें भी संगठित करे और सरकार की जन विरोधी नीतियों के बारें में जागृत करे। सरकार की क्रूर, अमानवीय और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ राजनीतिक प्रतिवाद के मंच वर्कर्स फ्रंट के साथ बड़ी संख्या में जुडें। 

(वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर की ओर से जारी विज्ञप्ति के इनपुट के साथ)

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