शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

SONBHADRA BLAST: हैरत में डाल देंगी 'मजदूरों की कब्रगाह' की ये तस्वीरें


फोटो साभारः रवि पांडेय, संजय यादव

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शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

सोनभद्र के बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में विस्फोट, तीन की मौत

बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में शुक्रवार को हुए विस्फोट के बाद घटना स्थल पर लगी भीड़। फोटोः संजय यादव
हादसे में करीब एक दर्जन लोगों के घायल होने की खबर।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

सोनभद्र। वर्ष-2012 के बहुचर्चित खनन हादसे की चौथी बरसी की पूर्व संध्या पर ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र स्थित पत्थर की एक खदान में आकाशीय बिजली की वजह से विस्फोट हुआ। इसमें तीन मजदूरों की मौत हो गई जबकि करीब दर्जन लोगों के घायल होने की बात कही जा रही है। स्थानीय लोगों के दावों पर गौर करें तो हादसे में पांच लोगों की मौत हुई है जबकि जिला प्रशासन की ओर से तीन लोगों के मरने की पुष्टि की गई है। 


बताया जा रहा है कि बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में देव प्रकाश मौर्या की खदान है। शुक्रवार को खदान में करीब 17 मजदूर कार्य कर रहे थे। जिसमें कुछ मजदूर विस्फोट के लिए होल में बारूद भर रहे थे। उसी दौरान बिजली चली गई और बारिश होने लगी। तभी आकाशीय बिजली चमकी और वहां विस्फोट हो गया। इसमें जुगैल थाना के चाड़म गांव निवासी देवनाथ (35) पुत्र अमरशाह, हंसलाल (50) पुत्र रामबरन और संतलाल (40) पुत्र रामबरन की मौत हो गई। करीब एक दर्जन लोग घायल हो गए। घायलों में पांच की हालत गंभीर बताई जा रही है। स्थानीय लोगों की मानें तो वहां मौजूद छह मजदूरों का पता नहीं चल पा रहा है। 
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घायलों में मोहर लाल (40), राम दयाल (25), अमरावती (18), हरिदास (30) की हालत गंभीर है। इन्हें लोढ़ी स्थित जिला संयुक्त चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। वहां मोहरलाल की हालत बिगड़ने की वजह से चिकित्सकों ने उसे वाराणसी रेफर कर दिया है। इनके अलावा चाड़ंग गांव निवासी कौशिल्या (3), राम दुलारे (35), समरजीत (22), दसमतिया (40) और विरजिया (35) को चोपन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है जहां उनका इलाज किया जा रहा है। 
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उधर, पुलिस ने घायल समरजीत की तहरीर पर खदान मालिक देव प्रकाश मौर्य समेत अन्य कई अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा-286, 304ए एवं विस्फोटक अधिनियम की धारा-4/5 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर लिया है और मामले की जांच कर रही है। 
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खदान में हुए विस्फोट की सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक रामलाल वर्मा, एसडीएम सदर कैलाश सिंह समेत अन्य अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। वर्मा ने मुख्यमंत्री राहत कोष से मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख तथा घायलों को 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने घटना की जांच कराने का आश्वासन दिया है। उधर, लखनऊ में कैबिनेट खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने बताया कि विभाग के पांच सदस्यों की टीम मौके पर भेज दी गई है जो विभाग को अपनी रिपोर्ट देगी। 

गौरतलब है कि वर्ष 2012 में 27 फरवरी की शाम बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र स्थित शारदा मंदिर के पीछे एक पत्थर की खदानकी पहाड़ी धंस गई थी जिसमें 10 मजदूरों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे। उस हादसे के मृतकों के परिजनों को सरकार की तरफ से आज तक कोई मुआवजा नहीं मिला है और ना ही उस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दी गई है। उनके परिजन आज भी न्याय के लिए गुहार लगा रहे हैं।

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रोहित वेमुला और जेएनयू के समर्थन में सड़क पर उतरे विद्यापीठ के शिक्षक और छात्र




प्रतिवाद मार्च निकालकर कथित राष्ट्रवादियों को दिया जवाब।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

वाराणसी। रोहित वेमुला को न्याय दिलाने, दोषी मंत्रियों को जेल भेजने, कन्हैया सहित जेएनयू के छात्रों पर देशद्रोह का फर्जी मुकदमा वापस लेकर उन्हें रिहा करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के अध्यापकों और छात्रों ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय के गेट संख्या-दो से प्रतिवाद मार्च निकाला और सभा की। उन्होंने संघ और भाजपा पोषित छद्म राष्ट्रवाद के खिलाफ युवाओं को शहीद भगत सिंह और डॉ. भीम राव अबेंडर के रास्तों पर चलने का आह्वान किया। 



प्रतिवाद मार्च में निरंजन सहाय, रेशम लाल, अनुराग कुमार, वीके सिंह आदि शिक्षक प्रमुख रूप से शामिल रहे। इनके अलावा सैकड़ों की संख्या में विद्यापीठ के छात्र एवं छात्राओं ने मार्च में हिस्सा लिया। 


सोनी सोढ़ी पर छत्तीसगढ़ सरकार की शह पर हुआ हमला


साझा संस्कृति मंच द्वारा आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने लगाया आरोप। प्रतिरोध की संस्कृति और अभिव्यक्ति की आजादी पर फासीवाद, पूंजीवाद और मनुवाद का साझा हमलाविषय पर गोष्ठी का हुआ आयोजन।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

वाराणसी। छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी की नेता एवं आदिवासी महिला सोनी सोढ़ी पर हमला राज्य सरकार और जिला प्रशासन की शह पर किया गया है। हमलावरों ने बस्तर के आइजी पर दायर मुकदमे को वापस लेने के लिए उनपर दबाव बनाया और ऐसा नहीं करने पर उन्होंने उनके साथ उनकी 15 वर्षीय बेटी को भी शिकार बनाने की धमकी दी है।

ये बातें गुरुवार को छावनी परिसर स्थित प्रेरणा कला मंच कार्यालय में साझा संस्कृति मंच की ओर से आयोजित प्रतिरोध की संस्कृति और अभिव्यक्ति की आजादी पर फासीवाद, पूंजीवाद और मनुवाद का साझा हमलाविषयक गोष्ठी में वक्ताओं ने कही। इस दौरान मशहूर वृत्तचित्र फिल्मकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौहर रजा की फिल्म जुल्मतों के दौर मेंका सामुहिक प्रदर्शन किया गया। इसका संदर्भ बस्तर में सोनी सोढ़ी पर हुए हमला और पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम की पिटायी था।

संगोष्ठी में शामिल संगठनों ने सोनी सोढी के द्वारा आदिवासी अधिकारों की बहाली के लिये किये जा रहे अनवरत संघर्ष की प्रशंसा की। वक्ताओं ने कहा कि आदिवासियों के हक और अधिकार की बात उठाने और कार्पोरेट ताकतों द्वारा आदिवासी और दलित समाजों के दमन के खिलाफ लगातार चलाये जाने वाले जन आन्दोलनों से घबरा कर हमलावरों ने सोनी सोढी पर यह हमला किया गया है। छत्तीसगढ़ में रोजाना अमन पसन्द लोगों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और मूलनिवासियों पर हमले किये जा रहे हैं। उनके पक्ष में खड़े होने वाले पत्रकारों और वकीलों को भी नहीं बख्शा जा रहा है। ऐसे में राज्य सरकार और प्रशासन के द्वारा हांथ पर हांथ धरे बैठे रहना यह पुख्ता करता है कि प्राकृतिक संसाधनों की लूट में कार्पोरेट घरानों को राज्य का समर्थन हासिल है। बता दें कि पुलिसकर्मियों द्वारा हाल ही में बस्तर में आदिवासी लड़कियों के बलात्कार के खिलाफ सोनी सोढ़ी ने मुकदमा किया है, जिसमें बस्तर रेंज के आइजी भी आरोपित हैं।

इस दौरान फिल्म जुल्मतों के दौर मेंका प्रदर्शन किया गया। यह फिल्म तानाशाह हिटलर के जमाने में जर्मनी में फैलाये गये अंध और अति राष्ट्रवाद पर आधारित है। राष्ट्रवाद के नाम पर जर्मनी ने अपने देश में अल्पसंख्कों का नरसंहार किया और पूरी दुनिया को दूसरे विश्व युद्ध की आग में झोंक दिया था। यह फिल्म संदेश देती है कि सच्चे अर्थों में देशभक्ति शान्तिपुर्ण सह अस्तित्व का नाम है जिसमें सभी देशवासी आपस में प्रेम, सौहार्द के साथ रहें और सभी मिल कर जाति-धर्म-वर्ग आदि पर आधारित भेदभाव का नाश करें।

गोष्ठी में डा. आनन्द प्रकाश तिवारी, जागृति राही, एकता, फ़ादर आनन्द, डा आरिफ, रवि शेखर, डा लेनिन रघुवंशी  धनन्जय त्रिपाठी, दिलीप दिली , लक्ष्मण प्रसाद, महेंद्र राठोर, वल्लभाचार्य पांडेय, दीन दयाल सिंह आदि ने भागीदारी की और विचार रखे।  

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गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016

रोहित वेमुला और जेएनयू समर्थकों पर वकीलों ने किया हमला, दर्जनों घायल

रिहाई मंच ने की निंदा। कहा-संघ समर्थक वकीलों द्वारा महिलाओं पर हमले ने उजागर किया उसकी महिला विरोधी मानसिकता।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

इलाहाबाद/लखनऊ। कथित राष्ट्रवाद के नाम पर कानून को हाथ में लेकर हिंसा करने का दस्तूर अभी भी जारी है। नई दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के बाद संघ-भाजपा समर्थक वकीलों ने आज इलाहाबाद कलेक्ट्रेट परिसर में धरना दे रहे भाकपा (माले) समेत वामपंथी संगठनों के कार्यकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इस दौरान हमलावर वकीलों ने लाठी-डंडे को प्रयोग भी किया जिसमें महिलाओं समेत दर्जनों लोग बुरी तरह से घायल हो गये। घायलों की शिकायत पर कर्नलगंज थाने की पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है लेकिन उनपर लगाई गई धाराओं को उजागर नहीं किया है। उधर भाकपा (माले) और अन्य वामपंथी संघटनों समेत रिहाई मंच ने घटना की पुरजोर निंदा की है और कहा है कि यह सपा सरकार की पुलिस के संरक्षण में सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाने की कोशिश है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

गौरतलब है कि रोहित वेमुला और जेएनयू प्रकरण को लेकर वामपंथी संगठनों ने आज राष्ट्रीय स्तर पर विरोध-प्रदर्शन का एलान किया था। भाकपा (माले) के केके पाण्डेय समेत विकास स्वरुप, अन्तस सर्वानंद, अखिल विकल्प, अविनाश मिश्रा, उत्पला, मानविका, झरना मालवीया, सुनील मौर्या, रणविजय, उमाशंकर, भीम सिंह चंदेल, राजेश सचान, सुभाष कुशवाहा, डॉ. कमल, अंकुश दुबे समेत सैकड़ों लोग कलेक्ट्रेट परिसर में धरना दे रहे थे। इसी दौरान आधा दर्जन वकील वहां पहुंचे और उनका विरोध करने लगे। थोड़ी देर बाद धरनास्थल पर सैकड़ों की संख्या में वकील वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगाते हुए वहां पहुंचे। पहले उन्होंने विरोध किया और फिर उनपर टूट पड़े। इस दौरान महिला कार्यकर्ताओं के साथ बदसलूकी भी की गई। वकील इस कदर आक्रोशित थे कि वे धरनारत लोगों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटने लगे। उन्होंने महिलाओं को भी पीटा और उन्हें गाली दी। वकीलों आरोप लगा रहे थे कि धरनारत लोग देश विरोधी नारे लगा रहे थे। इस कारण इनकी पिटाई की गई।

उधर वकीलों की खुलेआम गुंडागर्दी को भाकपा (माले) समेत विभिन्न वामपंथी संगठनों ने सपा समर्थित संघ कार्यकर्ताओं का हमला करार दिया। भाकपा (माले) के नेता सुधीर सुमन ने कहा कि कथित राष्ट्रवाद के नाम पर संघी मानसिकता वाले वकील संघ और भाजपा के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाना चाहते हैं और राज्य की सपा सरकार उनका साथ दे रही है। देश में आपातकाल जैसे हालात हो गए हैं। वहीं, रिहाई मंच ने इलाहाबाद कचहरी में रोहित वेमुला और जेएनयू के छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अन्य छात्रों के सवाल पर किए जा रहे धरने पर आरएसएस के गुण्डे वकीलों द्वारा किए गए हमले की कड़ी निंदा की। मंच ने कहा कि आगामी 16 मार्च को लखनऊ में होने वाला जन विकल्प मार्चसपा और भाजपा के सांप्रदायिक गठजोड़ को बेनकाब करेगा।


इंसाफ अभियान के प्रदेश प्रभारी हाईकोर्ट अधिवक्ता राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि इलाहाबाद में आरएसएस पोषित वकीलों द्वारा हमला पूर्वनियोजित व पुलिस के संरक्षण में हुआ। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से संघी गुण्डों ने महिला कार्यकर्ताओं पर हमले ही नहीं किए बल्कि उनके साथ आभद्रता और भद्दी-भद्दी गालियां दी उसने इन संघी राष्ट्रवादियों का महिला विरोधी चेहरा बेनकाब किया है। उन्होंने बताया कि केके पाण्डेय, विकास स्वरुप, अन्तस सर्वानंद, अखिल विकल्प, अविनाश मिश्रा, उत्पला, मानविका, झरना मालवीया, सुनील मौर्या, रणविजय, उमाशंकर, भीम सिंह चंदेल, राजेश सचान, सुभाष कुशवाहा, डा0 कमल, अंकुश दुबे इस हमले में घायल हुए। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता विरोधी ताकतों पर सपा के सरंक्षण में किए जा रहे हर संघी हमले का जवाब दिया जाएगा।

रिहाई मंच प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव ने कहा कि कल अमित शाह के यूपी में बहराइच दौरे के बाद जिस तरीके से लखनऊ में और आज इलाहाबाद में संघियों ने हिंसक हमले किए उसने साफ कर दिया कि सपा सरकार के पुलिसिया संरक्षण में भाजपा के गुण्डे हमले कर रहे हैं। इसीलिए हमलावरों को पकड़ना तो दूर उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ठीक इसी तरह मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा भी गुजरात से तड़ीपार अमित शाह के यूपी में सक्रिय होने के बाद हुई। उन्होंने मांग की कि अखिलेश यादव अमित शाह के यूपी में आने पर प्रतिबंध लगाएं। अनिल यादव ने कहा कि जिस तरीके से भाजपा रोहित वेमुला के सवाल पर दलितों की बीच घिर गई है ऐसे में यूपी में सुहेलदेव की मिथकीय सांप्रदायिक इतिहास को हवा देकर वह यूपी के तराई हिस्सों में सांप्रदायिकता की आग भड़काने का षडयंत्र रच रही है।


रिहाई मंच नेता शकील कुरैशी ने आरोप लगाया कि जो खुफिया एजेंसियां बहराइच में सिमी के सक्रिय होने की झूठी खबरें मीडिया में प्लांट करती हैं उन्हें इन संघियों द्वारा सांप्रदायिकता का जो बारुद बिछाया जा रहा है वह क्यों नहीं दिख रहा है। उन्होंने अपील की कि प्रदेश में सांप्रदायिक व जातीय हिंसा के खिलाफ मजबूत आवाज उठाने के लिए 16 मार्च को होने वाले जन विकल्प मार्चमें इंसाफ पसंद अवाम ज्यादा से ज्यादा तादाद में पहंुचे।

बुधवार, 24 फ़रवरी 2016

भाजपा-सपा गठजोड़ को 'जन विकल्प मार्च' के जरिये बेनकाब करेगा रिहाई मंच

-संघ और भाजपा नेताओं द्वारा  छात्र संगठन एसआईओ के कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमला मुसलमानों पर हो रहे सरकार संरक्षित हमले की ताजा मिसालः रिहाई मंच।
-मंच 16 मार्च को निकालेगा 'जन विकल्प मार्च'

वनांचल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। देश के विभिन्न इलाकों में बेगुनाहों की रिहाई के लिए सशक्त अभियान चलाने वाला 'रिहाई मंच' आगामी 16 मार्च को 'जन विकल्प मार्च' निकालकर भाजपा और समाजवादी पार्टी के गठजोड़ को बेनकाब करेगा। साथ ही उसने राज्य की सपा सरकार पर मुसलमानों से वादाखिलाफी करने, सूबे को सांप्रदायिक हिंसा में ढकेलने समेत दलितों और महिलाओं का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। मंच ने स्पष्ट कहा कि चुनाव जीतने के लिए कभी मुजफ्फरनगर तो कभी लव जेहाद जैसे एजेंडे को आगे किया जाता है। कभी एखलाक की हत्या की जाती है तो कभी हरियाणा में दलितों की हत्या का नंगा नाच किया जाता है। खुफिया एजेंसियों द्वारा अलकायदा के नाम पर कभी संभल तो कभी आईएस के नाम पर लखनऊ और कुशीनगर को निशाना बनाया जाता है। पूरे देश में वे जिस तरह से मुस्लिम युवाओं को फंसा रही हैं,  'जन विकल्प मार्च' उसके खिलाफ एक संगठित आवाज होगा जो जन आंदोलन के माध्यम से नए राजनीतिक विकल्प का निर्माण करेगा। साथ ही यह कॉर्पोरेट और मीडिया परस्त राजनीति को शिकस्त देगा।

रिहाई मंच ने दलित छात्र रोहित वेमुला और जेएनयू के छात्रों के समर्थन में गांधी प्रतिमा हजरतगंज लखनऊ में हस्ताक्षर अभियान चला रहे छात्र संगठन एसआईओ के छात्रों पर संघ और भाजपा नेताओं द्वारा जानलेवा हमले को सपा सरकार में पूरे सूबे के मुसलमानों पर हो रहे सरकार संरक्षित हमले की ताजा मिसाल बताया है। मंच ने कहा है कि विधानसभा से सौ मीटर की दूरी पर सैकड़ों पुलिस वालों की मौजूदगी में किया गया हमला बिना प्रशासनिक मिलीभगत के संभव नहीं है। मंच ने संघ के साम्प्रदायिक आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए हजरतगंज कोतवाली के पूरे पुलिस अमले को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है। मंच ने आरोप लगाया है कि इसी साम्प्रदायिक पुलिस अमले ने कुछ दिनों पहले एसएफआई कार्यालय पर भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा हमला करवाया था। मंच ने यह भी कहा है कि यह अकारण नहीं है कि सपा मुखिया मुलायम सिंह के यह कहते ही ऐसे हमले बढ़ गए हैं कि उन्हें बाबरी मस्जिद तोड़ने आए भाजपाईयों पर गोली चलाने का आदेश देने पर दुख है।

रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शुऐब ने कहा है कि सपा ने 2012 में मुसलमानों से 16 सूत्री वादा किया था जिसमें से चार साल पूरे होने के बावजूद एक भी वादा पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि सपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र के पृष्ठ संख्या 12 से 15 पर यह वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम युवकों को छोड़ दिया जाएगा, इन आरोपों से बरी हुए लोगों का पुर्नवास किया जाएगा, मुसलमानों को 18 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा, सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग की सिफारिशों पर अमल किया जाएगा, पुलिस में मुसलमानों की भर्ती के लिए विशेष प्राविधान किया जाएगा, मुस्लिम बहुल जिलों में नए सरकारी शैक्षिक संस्थानों की स्थापना की जाएगी, मुस्लिम बहुल इलाकों में उर्दू माध्यम के स्कूलों की स्थापना की जाएगी, मदरसों में तकनीकी शिक्षा के लिए विशेष बजट आवंटित किया जाएगा। लेकिन ये सारे वादे झूठे साबित हुए हैं। 

उन्होंने कहा कि इसी तरह बुनकरों से वादा किया गया था कि किसानों की तरह उन्हें भी बिजली मुफ्त दी जाएगी। लेकिन यह वादा भी झूठा साबित हुआ। इसीतरह वादा किया गया था कि कब्रिस्तानों की सुरक्षा की गारंटी करने के लिए विशेष बजट का प्रावधान किया जाएगा। लेकिन सच्चाई यह कि इन चार सालों में कब्रिस्तानों का अतिक्रमण और बढ़ा है जिसमें कई जगह तो सीधे सपा नेताओं की भूमिका उजागर हुई है। उन्होंने कहा कि सपा सरकार न सिर्फ चुनावी वादों से मुकर गई है बल्कि खुल कर संघ और भाजपा के मुस्लिम विरोधी एजेंडे को बढ़ा रही है। इसीलिए दादरी में हुई एखलाक की हत्या की सीबीआई जांच का उसने आदेश नहीं दिया तो वहीं मुजफ्फरनगर जनसंहार के दोषीयों को बचाने के लिए उसने जस्टिस सहाय कमीशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया।

मंच के अध्यक्ष ने कहा कि सपा ने चुनावी वादा किया था कि वह आतंकवाद के नाम कैद बेगुनाहों को रिहा करेगी पर उसने वादा पूरा नहीं किया और जब आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट ने मौलाना खालिद और तारिक कासमी की गिरफ्तारी को संदिग्ध कहते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की तो उसने पुलिस और खुफिया एजेंसियों को बचाने के लिए मौलाना खालिद की हत्या करवा दी। उन्होंने कहा कि रिहाई की इस मुहिम के तहत लगातार बेगुनाह आदालती प्रक्रिया से छूट रहे हैं पर सपा जिस तरह से वादा करने के बाद भी पुर्नवास नहीं कर रही है वो साबित करता है कि अखिलेश यादव संघी मानसिकता से अदालतों से बाइज्जत बरी मुस्लिम नौजवानों को आतंकी समझते हैं।

मंच के अध्यक्ष ने कहा कि जेएनयू के छात्र जिस तरह से संघर्ष कर रहे हैं वह देश में इंसाफ की लड़ाई को नई दिशा देगा। आज जिस तरह से उमर खालिद, कन्हैया समेत तमाम छात्रों को भाजपा और सुरक्षा-खुफिया एजेंसियों का गठजोड़ देशद्रोही कह कर हमले कर रहा है वह बताता है कि यह हमला उन तमाम प्रगतिशील मूल्यों पर है जो वंचित समाज के हक में हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से उमर खालिद को इस घटना के बाद मुस्लिम होने का एहसास हुआ और उनके पिता वेलफेयर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कासिम रसूल इलियास व उनके बच्चों को धमकियां दी गई वह साबित करता है कि देश में मुसलमानों की स्थिति दोयम दर्जे की हो गई है।


मुहम्मद शुऐब ने कहा है कि मुसलमानों की तरह ही प्रदेश के दलितों और महिलाओं को  भी चार साल तक धोखा दिया गया। जहां दलितों और महिलाओं पर सामंती हमला बढ़ा है वहीं मुख्यमंत्री के आवास के पीछे से भी लड़कियों के शव मिलने लगे हैं। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि जनता सपा सरकार के झूठे दावों की पोल खोले और नए समाज निर्माण की राजनीतिक जिम्मेदारी को उठाने का संकल्प ले। उन्होंने कहा कि 16 मार्च को रिफाह-ए-आम से विधान सभा तक जन विकल्प मार्चनिकाल कर रिहाई मंच सपा सरकार के झूठ और लूट को उजागर करेगा।